ग्रामीण भारत मे कृषि प्रधान पारंपरिक रोजगार से इतर नई तकनीकों का समावेश करते हुए आजीविका में नये संसाधनों के निर्माण के प्रति हम प्रतिबद्व हैं। युवा, महिला, कृषक सहित ग्रामीण वर्ग में कौशल विकास योजना के माध्यम से उन्हें संबंधित विषय में प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही आजीविका निर्माण की दिशा में हम सतत प्रयासरत हैं। इसके साथ चिकित्सा के विविध तंत्र में युवाओं को प्रशिक्षित कर सहयोगी कर्मी के रुप में आजीविका प्रबंधन की दिशा में अपेक्षित परिणाम के साथ हम निरंतर कार्यरत हैं।
सामाजिक अवदान
मऊ नगर से सटी मुख्यधारा से कटी मलीन ‘थारु बस्ती’ को सर्वांगीण विकास की प्रतिबद्वता के साथ 10 वर्ष पूर्व गोद लिया गया है। थारु बस्ती में स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वरोजगार, कौशल विकास, महिला विकास, स्वच्छता, कुपोषण आदि विषयों पर निरंतर प्रशिक्षण प्रदानन कराने के साथ संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराया जा रहा है। सामाज की मुख्यधारा में लाने के लिए न्यास द्वारा यहां निरंतर कार्य किया जा रहा है। नियमित निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, आहार वितरण, शिक्षाश्रम केंद्र की स्थापना, जल प्रबंधन, कौशल विकास शिविर, योग शिविर, सफाई अभियान, सिलाई-कढ़ाई केंद्र की स्थापना, मोटर ट्ेनिंग आदि विषयों के माध्यम से महिलाओं, बच्चों, युवाओं सहित सर्वांगीण विकास की अवधारणा को मूर्तरुप देने की लिए हम प्रतिबद्वता के साथ कार्य कर रहे हैं।
इसके साथ ही मऊ नगर में पौराणिक तमसा तट पर स्थित सर्वेश्वरी मुक्तिधाम पर बाबा देहलुदास पार्क का निर्माण कराया गया है। कई दशकों से उपेक्षित इस स्थल पर सघन पौधरोपण, सुंदरीकरण, जल प्रबंधन के साथ इस स्थान को पार्क के रुप में विकसित किया गया है। इसी स्थल पर युवाओं को स्वास्थ्य जागरुकता के लिए प्रेरित करने के लिए मॉ शारदा ओपेन जिम की स्थापना की गई है। यहां अत्याधुनिक मशीनों के साथ जिम के माध्यम से युवाओं को स्वास्थ्य जागरुकता के लिए हम अपने सामाजिक अवदान के प्रति सचेष्ट प्रतिबद्वता के साथ कार्य कर रहे हैं।
संस्कृति एवं परंपरा
किसी भी समाज की संस्कृति और परंपरा उसके सामाजिक जीवन मूल्य और उकृष्टता की परिचायक होती है। इस दिशा में न्यास द्वारा भारतीय जीवन दर्शन की आदर्श परंपरा और धरोहरों के संरक्षण की दिशा में भी व्यापक कार्य किया जाता है। पुराण वर्णित नदी तमसा तट पर स्थित सर्वेश्वरी मुक्तिधाम ढेकुलियाघाट के जीर्णोंद्वार और विकास के लिए गोद लेकर कार्य किया जा रहा है। यहां पर यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण, काष्ठ केंद्र निर्माण, सुंदरीकरण कार्य, हनुमान मंदिर का जीर्णोद्वार, बाबा देहलुदास अखाड़ा निर्माण कार्य कराया जा चुका है। लुप्त हो रही प्राचीन पंरपरा के संरक्षण के लिए बाबा देहलुदास अखाड़ा का निर्माण कराने के साथ ही यहां मंडलस्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन भी कराया जाता है। तमसा रक्षक दल का निर्माण कर प्रत्येक सप्ताह के मंगलवार को बजरंग आरती का नियमित आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही आगामी समय में माता सीता के परित्याग के बाद उनके निर्वसन काल का स्थल कहिनौर स्थित वनदेवी धाम पर भी परंपरा और संस्कृति के साथ धरोहरों की संरक्षा का कार्य भी प्रस्तावित है।
साहित्य
भारत के पांच राज्यों के आठ केंद्रों पर संचालित होने वाले साहित्यिक शुचिता का कार्यक्रम ‘‘अंतर्नाद’’ की स्थापना के साथ ही न्यास द्वारा इसे संरक्षित किया जाता है। ‘नव लेखन को नव आयाम व प्रसिद्वि से दूर सिद्वों तक’ के दो आयामों पर स्थापित इस आयोजन के माध्यम में शुद्व साहित्यिक आयोजन कर इस शुचिता की परंपरा का संवहन करते हैं। इसमें अंतर्नाद नामक अर्धवार्षिक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता है। इसके साथ ही साथ ही शारदा नारायण वेलफेयर ट्स्ट द्वारा स्वास्थ्य मासिक रुप से स्वास्थ्य पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है जो संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा विषय पर केंद्रीत है।